The Simhâsana
1: दोनो ऐडीयों को अपने लिंग के नीचे वाली हड्डी से लगा कर ।
2: अपने हाथों को अपने पट्टों पर रख कर, अपने मूँह को खुला रख कर, और अपने मन को संयमित कर, नाक के आगे वाले भाग की तरफ देखते हुये ।
3: यह सिंहासन है, जिसे महान योगी पवित्र मानते हैं । यह आसन तीन बंधों की पूर्ति में सहायक होता है ।
The Bhandrâsana
1: दोनो ऐडीयों को अपने लिंग के नीचे वाली हड्डि से लगा कर (keeping the left heel on the left side and the right one on the right side), पैरों को हाथों से पकड कर एक दूसरे से अच्छे से जोड कर बैठना । इसे भद्रासन कहा जाता है । इस से भी सभी बिमारियों का अन्त होता है ।
2: योग ज्ञाता इसे गोरक्षासन कहते हैं । इस आसन में बैठने से थकावट दूर होती है ।
3: यह आसनों का वर्णन था । नाडियों को मुद्राओं, आसनों, कुम्भक आदि द्वारा शुद्ध करना चाहिये ।
4: नाद पर बारीकी से ध्यान देने से, ब्रह्मचारी, कम खाता और अपनी इन्द्रियों को नियमित करता, योग का पालन करता हुआ सफलता को एक ही साल में प्राप्त कर लेता है – इस में कोई शक नहीं ।
5: सही खाना वह है, जिस में अच्छे से पके, घी और शक्कर वाले खाने से, भगवान शिव को अर्पित करने के पश्चात खाकर ¾ भूख ही मिटाई जाये ।