Author Topic: Yoga For all  (Read 114 times)

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Re: Yoga For all
« on: December 16, 2016, 12:22:07 am »
Asanas आसन

1:- आसन हठ योग की सबसे पहली शाखा है, इसलिये सबसे पहले उस का वर्णन करते हैं । इसका अभ्यास स्थिर काया, निरोगता और शरीर का हलकापन पाने के लिये करना चाहिये ।

Swastika-āsana

अपने दोनो हाथों को अपने पट्टों के नीचे रख कर, अपने शरीर को सीधा रख, जब मनुष्य शान्ती से बैठता है तो उसे स्वतिक कहते हैं ।

Gomukha-āsana

जब अपने दायने ankle को अपने बायें ओर और अपने बायें ankle को अपने दायें ओर रखा जाये, जो गायें के मूँह जैसा दिखता है, उसे गोमुख आसन कहते हैं

Virāsana

एक पैर को दूसरे पट्ट पर रखा जाये और दूसरे पैर को इस पट्ट पर रखा जाये, इसे वीरासन कहते हैं ।

Kurmāsana

अपनी दायें ankle को anus के बायें ओर और बायें ankle को anus के दायें ओर रखा जाये, उस आसन को योगी कुर्मासन कहते हैं ।

Kukkuta āsana

पदमासन में बैठ कर, फिर हाथों के पट्टों के नीचे रख कर, जब योगी अपने आप को जमीन से उठाता है, हाथों के तलवों को धरती पर टिकाये हुये, तो उसे कुक्कुट आसन कहते हैं ।

Utāna Kurma-āsana

कुक्कुट आसन में बैठ कर, अपनी गरदन या सिर को पीछे से पकड कर, अगर जमीन पर पीठ लगा कर लेटा जाये, तो उसे उतान कुर्मासन कहते हैं, क्योंकि यह दिखने में कछुये जैसा लगता है ।

Dhanura āsana

दोनो हाथों से अपने पैरों के अगले भाग (उंगलीयों) को पकड कर, उन्हें (पैरों को) अपने कानो तक ले जाना, जैसे कोई धनुष खींच रहें हों, उसे धनुर आसन कहा जाता है । 

2:- मैं कुछ आसनों का वर्णन करता हूँ जिन्हें वौशिष्ठ जैसे मुनियों और मत्स्येन्द्र जैसे योगियों ने अपनाया है ।

Matsya-āsana

अपने पैर को अपने पट्ट (thigh) पर रख कर, अपने हाथ को पीठ की तरफ से ले जा कर उसे पकडना – जैसे दायने पैर को बायें पट्ट पर रख कर, अपने दायने हाथ को पीठ की तरफ से ले जा कर अपने दायने पैर को पकडना, और वैसे ही दूसरे पैर और हाथ से करना – इस आसन को मत्स्य आसन कहते हैं, और इसका वर्णन श्री मत्स्यानाथ जी ने किया था । इस से भूख बढती है, और यह बहुत सी भयानक बिमारियों से रक्षा में सहायक सिद्ध होता है । इस के अभ्यास से कुण्डली जागती है और यह मनुष्य के चन्द्रबिंदू से अमृत छटना रोकता है (इस विष्य में बाद में और बताया गया है) ।

Paschima Tāna

पैरों को जमीन पर सीधा कर के (साथ साथ लंबे रख करे), जब दोनो हाथों से पैरों की उँगलीयाँ पकडी जायें और सिर को पट्टों पर रखा जाये, तो उसे पश्चिम तन आसन कहते हैं । इस आसन से शरीर के अन्दर की हवा आगे से शरीर के पीछे के भाग की तरफ जाती है । इस से gastric fire को बढावा मिलता है, मोटापा कम होता है और मनुष्य की सभी बिमारियां ठीक होती हैं । (यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है)

Mayura-āsana

हाथों के तलवों को जमीन पर रखें और अपनी elbows को साथ साथ लायें । फिर पेट की धुन्नि (navel) को अपनी elbows के ऊपर रखें और इस प्रकार अपने भार को हाथों (elbows) पर टिकाते हुये, शरीर को डंडे के समान सीधा करें । इसे म्यूर आसन कहते हैं ।

इस आसन से जल्द ही सभी बिमारियां नष्ट हो जाती हैं, पेट के रोग मिट जाते हैं, और बलगम, bile, हवा आदि के विकारों को दूर करता है, भूख बढाता है और खतरनाख जहर का अन्त करता है ।


 

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